जिसे श्रवण कर मिट जाती है सौ जन्मों जन्म की व्यथा, वो है श्रीराम कथा
भीलवाड़ा/खबर नेटवर्क / भगवान के एश्वर्य एवं स्वरूप का बोध कराने वाली जिस श्रीराम कथा श्रवण का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था वह पल शनिवार को आखिर आ ही गया। श्रीसंकट मोचन हनुमान मंदिर ट्रस्ट एवं श्री रामकथा सेवा समिति भीलवाड़ा के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय श्री रामकथा महोत्सव का आगाज कोलकात्ता के ख्यातनाम कथावाचक पूज्य राजन महाराज के मुखारबिंद से श्रीराम कथा वाचन शुरू होने के साथ हो गया। संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरीजी महाराज के सानिध्य में पहलेे ही दिन कथा सुनने के लिए धर्मनगरी भीलवाड़ा के भक्तगण उमड़ पड़े एवं विशाल वाटरप्रूफ पांडाल भी छोटा पड़ता नजर आया। इससे पूर्व कथावाचन शुरू होने से पूर्व सुबह श्रीहरिशेवाधाम से विशाल कलश शोभायात्रा भी निकाली गई थी। शोभायात्रा के चित्रकूटधाम पहुंचने पर व्यास पीठ रामचरितमानस ग्रंथ को विधि पूर्वक रखा गया। इस दौरान समिति के अध्यक्ष गजानंद बजाज के साथ महन्त बाबूगिरीजी महाराज, निम्बार्क आश्रम के महन्त मोहनशरण शास्त्री, गोपालद्वारा सांगानेर के गोपालदासजी महाराज, रपट के बालाजी के महन्त बलरामदासजी महाराज, हरिशेवाधाम के गोविन्दरामज, मुरारी पांडे आदि मौजूद थे। श्री राजन महाराज जैसे ही कथास्थल चित्रकूटधाम में व्यास पीठ पर पहुंचे पूरा पांडाल जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। उनके व्यास पीठ पर विराजित होने से पहले उसकी विधिवत पूजा की गई। राजन महाराज ने जैसे ही ‘‘जिसे श्रवण कर मिट जाती है सौ जन्मों जन्म की व्यथा, जय-जय श्रीराम कथा’’ भजन पेश किया पूरा माहौल राम की भक्तिमय हो गया एवं कथास्थल चित्रकूटधाम अपने नाम को साकार करते दिखा। उन्होंने भीलवाड़ावासियों की भक्ति भावना सराहना करते हुए कहा कि सरस रामकथा जीवन के लिए महत्वपूर्ण संदेश देने वाली है। रामकथा बताती है कि जीवन को किस तरह विकारों से मुक्त किया जा सकता है। कथा आयोजन के लिए महन्त बाबूगिरीजी महाराज की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस कलिकाल में जब व्यक्ति परमार्थ छोड़ स्व में उलझा हुआ तब जो रामकथा करने के लिए निवेदन करता है वह सौभाग्यशाली है। उन्होंने कहा कि रामजी के चरणों में परम पद प्राप्त करना चाहते है ओर जीवन का उद्धार करना चाहते है तो भाव सहित कथा श्रवण करना ही उपाय है। किसी को कथा समझ नहीं आए तो भी सुनने आए रामकथा सभी मनोकामना पूरी कर देती है। सुनने वाले की जैसी प्रकृति होती है वैसी ही उसे कथा समझ में आती है। राजन महाराज ने कहा कि जब सूर्य से विमुख हो जाते है तो परछाई आगे होती है ओर जब भगवान से विमुख हो जाते है तो विपतिया आती है। मुख भगवान के सामने होगा तो जीवन में खुशियां होगी। भगवान के समक्ष हमेशा शरणागत भाव में दिखा करे। जानना ज्ञान नहीं है जान कर जो मान लेगा वहीं ज्ञान है। हम बहुत सी बाते जानते है पर उसे मानते नहीं है। हम जानते मौत निश्चित है फिर भी राग,द्धेष,मोह नहीं छोड़ पाते है। उन्होंने कहा कि रामजी की भक्ति ही रामजी को प्राप्त करा सकती है। मैं भाव से कथा सुनाने का प्रयास करूगा आप भी भाव से कथा सुनने का प्रयास करे। भाव के साथ कथा श्रवण करने पर यह मन की थकान मिटा देती है। मंच पर हाथीभाटा आश्रम के महंत संतदासजी महाराज, भजन गायक मिथलेश नागर, पुजारी मुरारी पांडे, मुरलीधर बानोड़ा के बालाजी आदि भी मौजूद थे। राजन महाराज के व्यास पीठ पर विराजने के बाद आरती करने वालों में प्रमुख जजमान श्रीगोपाल राठी, राधेश्याम सोमानी, रमेश खोईवाल,देवीलाल बजाज, मिठुलाल स्वर्णकार, केसी प्रहलादका, राजेश गुर्जर, श्रीराम गुर्जर, हनुमान गुर्जर, अजय गुर्जर आदि शामिल थे। शाम की आरती भीलवाड़ा नगर निगम के महापौर राकेश पाठक, पवन पंवार, नवल भारद्धाज, सांवरमल बंसल, रमेश बंसल, उमाशंकर पारीक, गोविन्द सोड़ानी, मनोहरकृष्ण चौबे आदि ने की। अतिथियों का स्वागत श्रीरामकथा सेवा समिति के अध्यक्ष गजानंद बजाज, महासचिव पीयूष डाड एवं कन्हैयालाल स्वर्णकार, राजेश बाहेती, संजय बाहेती, वेदान्त बाहेती, नवनीत बजाज, दुर्गालाल सोनी, समिति की महिला प्रमुख मंजू पोखरना, रेखा कंवर, नीलम शर्मा आदि ने किया। मंच का संचालन पंडित अशोक व्यास ने करते हुए कथा आयोजन की भूमिका के बारे में बताया।
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